राज्य

परिवर्तन जरूरी है

डॉ कुमुद बाला मुखर्जी व्दारा लिखित कविता

परिवर्तन जरूरी है

हाथों में श्री कृष्ण के बाँसुरी,पर श्री सुदर्शन चक्र भी जरूरी है
व्यवहार में हो अव्यवहारिकता तो ,परिवर्तन तंत्र भी जरूरी है

दृष्टि तुम्हारी जिधर भी गयी,बोर्ड के लिए वही सही
ना कोई कागज़ात की जरूरत , और न कोई बही
कानून के इकतारे पर , तुम्हारी धुन बजनी चाहिए
अगर ना मानी बात तो,तन सर से जुदा होगा अभी
सेक्युलरिज़्म पर बात नहीं करते,रक्षा सनातन की भी जरूरी है
हाथों में श्री कृष्ण के बाँसुरी पर श्री , सुदर्शन चक्र भी जरूरी है
व्यवहार में हो अव्यवहारिकता तो , परिवर्तन तंत्र भी जरूरी है

उन्नति की बातों पे लगती है ,धर्म की खिचड़ी पकने
गर्म तवे पर कच्ची-पक्की , रोटियाँ हैं लगती सिंकने
कहाँ,कौन,किसकी कमज़ोरी,लगते मगर तीर छलने
धर्म के नाम पर वे झुला रहे , सहूलियत के पलने
प्रदूषित पर्यावरण संरक्षण हेतु , वातावरण यंत्र भी जरूरी है
हाथों में श्री कृष्ण के बाँसुरी पर श्री,सुदर्शन चक्र भी जरूरी है
व्यवहार में हो अव्यवहारिकता तो ,परिवर्तन तंत्र भी जरूरी है

सनातन धर्म की रक्षा हेतु , बोर्ड का गठन जरूरी
देश की पीड़ित मिट्टी पर फिर से,चिंतन-मनन जरूरी
कर्म कहता – देश के लिए जियें , देश की ख़ातिर मरें
ग़लत नीतियों के मार्ग में , दृष्टि व हृदय मंथन जरूरी
एक आयोग,एक नीति की ख़ातिर,पुनरावलोकन भी जरूरी है
हाथों में श्री कृष्ण के बाँसुरी पर श्री ,सुदर्शन चक्र भी जरूरी है
व्यवहार में हो अव्यवहारिकता तो , परिवर्तन तंत्र भी जरूरी है

वसुधैव – कुटुंबकम की सोच , आलोचना से दूर रहें
सत्य की पुनरावृत्ति हो मिथ्या और कल्पना से दूर रहें
राम – रहीम दोनों हमारे , भेद व प्रपंच से दूर रहें
काबा-काशी-मथुरा-अविनाशी , दूषित मन से दूर रहें
समस्याओंकी अनगिनत गठरियाँ,इनका समाधान भी जरूरी है
हाथों में श्री कृष्ण के बाँसुरी पर श्री , सुदर्शन चक्र भी जरूरी है
व्यवहार में हो अव्यवहारिकता तो , परिवर्तन तंत्र भी जरूरी है

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