राज्य

वाह रे जिंदगी!

डॉ.पद्मावती पि हैदराबाद व्दारा लिखत कविता

  1. वाह रे जिंदगी!

स्वर राग सुस्वर नाद से झूमने वाले
तबले पर सरसाने वाली
संगीत का श्वास थम गया आज नि:श्वास!

तबला का प् मशहूर संगीत विद्वान
उस्ताद जाकिर हुसैन
स्वर संगीत के स्वर्ग को
भू पर लाया था
सुनने वाले श्रोतागण चूम लिए थे
भुवि को नमन किया था
स्वर्ग को भू पर लाया कहके
महका दिया संगीत के सौरभ से
बनमाली रासबिहारी अब बिहारी बन गये गगन के!

तबला पर उंगलियां फिरकने लगीं तो
सुनाई पडते सहस्रों स्वर राग
वाह रे वाह! नत सहस्र कोयल की कूक
यदि रुक गई तो अब दिल की धड़कनें भी
धक्-धक् करती हुई आहों में बदल गयीं !

स्वर संगम की कई स्मृतियां साथ ले आये थे हुसैन जी!
फूलों के चमन का चमेली
निर्मल मन के स्वर जाह्नवी
गान गन्धर्व गगन के तारों में झिलमिल के
अमर बने स्वर संगीत के राजा बनकर!!
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डॉ.पद्मावती पि हैदराबाद

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