युवा

वही देशभक्त , क्रांतिकारी कहलाता है।।

डॉ. कुमुद बाला मुखर्जी व्दारा लिखित कविता.

वही देशभक्त , क्रांतिकारी कहलाता है।।

सर पे कफ़न और कर्तव्य साधना , संग ले चलता है जो,
वही देशभक्त , क्रांतिकारी कहलाता है।।

बहु मुश्किलों की आँधियों को ,मुट्ठी में बाँध बढ़ता है जो,
वही देशभक्त , क्रांतिकारी कहलाता है।।

हिल उठा सिंहासन देख जिसे व स्वयं आगे चलता है जो,
वही देशभक्त , क्रांतिकारी कहलाता है।।

अंधविश्वास की बेड़ियों को तोड़ ,सदा आगे बढ़ता है जो,
वही देशभक्त ,क्रांतिकारी कहलाता है।।

क्रूर होकर भी जो अहं को , खूटियों पर टाँग दे
सभी दिल में देशराग के , हुनर को झट टाँक दे
इंसानियत के यज्ञ में , भवगीता को जो बाँच दे
भाषाओं के गुलदस्ते को , एक सूत्र में बाँध दे

बुद्ध-राम औ कृष्ण के,विचारों का मंथन कर,बढ़ता है जो,
वही देशभक्त , क्रांतिकारी कहलाता है।।

सुप्रेम को पूजा समझ कर , धर्म को आधार दे
जो हृदय की वर्तिकाओं में,व्योम सा विस्तार दे
जो क्षितिज की सीमाओं को , दूर से ही नाप ले
दुश्मन की रण- योजना को , पूर्व में ही भाँप ले

दस्तावेज,व्यक्त कर संवेदना , नव वक्त पे लिखता है जो,
वही देशभक्त , क्रांतिकारी कहलाता है।।

अपमान माँ भारती का, न भूलकर भी सह सके
देख कर बेचैन धरती,जिन्दा न खुद भी रह सके
भारत पर हर हाल , मिटने के लिए तैयार हो
जो हृदय इंसानियत के ,नव राग का आधार हो

हरित किसान क्रांति की , आवाज़ पर मुहर लगाता है जो,
वही देशभक्त , क्रांतिकारी कहलाता है।।

क्या घृणा-द्वेष-ईर्ष्या व लोभ-लालच क्या बला
हो न मन में पर जिसमें , ज्ञान लेने की हो कला
दूसरों की तरफ न देखे , साथियों का साथ दे
जो गिरें उनको उठा ले , हाथ को वरद हाथ दे

ऐसी कितनी कलाओं में गुणी, किंतु अलग दिखता है जो,
वही देशभक्त , क्रांतिकारी कहलाता है।।

अंधविश्वास की कुनीतियों की,तोड़ दे जंजीर जो
और सुकर्मों से बदल दे , देश की तकदीर जो
राष्ट्र के निर्माण का ,संकल्प ही जिसकी आन हो
मानवीय अनमोल मूल्यों , की नई पहचान हो

नीति का पक्का पुजारी , आँधी में दीप जलाता है जो,
वही देशभक्त , क्रांतिकारी कहलाता है।।

प्रसून से कोमल हृदय में , प्रीति हो पाषाण सी
स्वप्न में भी जो चिन्ता ,नहीं पालते हों प्राण की
धीरज धरती सा भरा , हो सागर सी गंभीरता
कृशानु सा ले तेज बना दे , दानवों को देवता

सुधीर हो , युगचेतना की , राह दिखलाता है जो ,
वही देशभक्त , क्रांतिकारी कहलाता है।।

जो समय के पत्थरों पर,चिह्न छोड़ सके पाँव के
हाथों में जिनके पले युग , धूप वाली छाँव के
जो झुकाकर शीश अपना ,वंदन करे शहीदों का
देश की स्वाधीनता पर , भंजन करे शहीदों का

कर्मकारी – धर्मधारी बन , पथ – प्रदर्शक बनता है जो,
वही देशभक्त , क्रांतिकारी कहलाता है।।

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