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गुजराती गीत ‘शिवाजी नुं हालरडुं’ का भावार्थ गीत के लेखक झवेरचंद मेघाणी जी

प्रस्तुत कर्ता भावना मयूर पुरोहित हैदराबाद 15/11/2024.

गुजराती गीत ‘शिवाजी नुं हालरडुं’ का भावार्थ
गीत के लेखक झवेरचंद मेघाणी जी
प्रस्तुत कर्ता भावना मयूर
पुरोहित हैदराबाद
15/11/2024.

जंगल में रात्रि के अंधेरे में चंद्रमा की साक्षी में शिवाजी की माता लोरी गाती हैं। जीजाबाई शिवाजी को बचपन से ही लोरी गाते समय ही शौर्यकथा और वीरों की कथा कहती है। शिवाजी की
माता जीजाबाई लोरी गाकर
झुलाती है तो ऐसा लग रहा है कि जैसे पर्वतों डोल रहे हैं क्योंकि आगे जाकर शिवाजी पर्वतों में छिप छिप कर गोरीला पद्धति की रणनीति से युद्ध जितनेवाले होनेवाले हैं। शिवाजी को नींद नहीं आती है।उसको माता जीजाबाई झुलाती है। जब
शिवाजी माता के पेटमें थे तब से ही जीजाबाई राम-लक्ष्मण की वीरकथा शिवाजी को सुनाती थी। यह सब बातें सुनकर शिवाजी की नींद उड़
जाती है। माता जीजाबाई कहती हैं कि अभी मेरे हाथों से सो जा, आगे जाकर तुझे
बड़े बड़े युद्ध करने पडेंगे, फिर तुम्हें सोने को नहीं मिलेंगा।
जीजाबाई शिवाजी को लोरी में कहती हैं कि अभी हो सके
उतना माता का दुग्धपान करले, आगे जाकर युद्ध में कभी भोजन भी नहीं मिलेगा। लोरी में जीजाबाई
बालक शिवाजी को कहती हैं कि अभी पीले पिरोजी रंग के
राजसी वस्त्रों पहन ले, आगे जाकर तुझे युद्ध में अपने ही
रक्त से रंगे हुए कपड़े पहनने पडेंगे। तेरे घावों से भरे शरीर
का ढक्कन तेरी ढाल रहेगी।
घूघरा, धावणी, लकड़ी का पोपट यह सब बच्चों के खिलौने के नाम हैं। जीजाबाई कहती है कि अभी बचपन में
इन खिलौनों से खेल ले, आगे
जाकर युद्ध में तुझे अस्त्र-शस्त्र के खिलौनों से खेलना पडेगा। माता महाकाली तेरे
रक्त से खेलेंगी। जीजाबाई अपनी लोरी में कहती है कि
अभी मेरी गोद में मेरे हाथों से सो जा, तुजे ऐसा लगेगा कि तुम फूलों की सेज में सोया हुआ है। आगे जाकर
तुम्हें महाकाली की गोद में
सोना पडेगा। अर्थात युद्ध के
समय तेरी मृत्यु भी हो सकती है। लोरि में ऐसी बातें सुनाकर जीजाबाई अपने बाल शिवाजी को झुलाती है।
वीर रस से सराबोर गीतकार की अद्भुत कल्पना है। इस गीत को सर्व प्रथम हेमु गढवी करके गुजराती लोकगायक ने गाया था।

छत्रपति शिवाजी :-
जन्म तारीख :१९/२/१६३०.
मृत्यु तारीख : ३/४/१६८०.

झवेरचन्द मेघाणी जी :-
जन्म तारीख : २८/८/१८९६.
मृत्यु तारीख : ९/३/१९४७.

हेमु गढवीजी:-
जन्म तारीख :४/९/१९२९.
मृत्यु तारीख : २०/८/१९६५.

प्रस्तुत कर्ता :
भावना मयूर पुरोहित हैदराबाद
जन्म तारीख :२२/११/१९६०.

 

शिवाजी नुं हालरडुं
कवि : स्व. झवेरचंद मेघाणी
गायक : स्व. हेमु गढवी
गुजराती काठियावाडी एवं
सौराष्ट्रि भाषा का लोकगीत.
प्रस्तुत कर्ता: भावना मयूर पुरोहित हैदराबाद
11/11/2024.

ए आभ मां उग्यो चांदलो ने,
जीजाबाईने आव्यां बाळ, (२)
बालूडाने मात हिंचोळे, आम
धण धण डुंगरा डोले, (२)
शिवाजी ने नींदरु ना’ वे, माता
जीजाबाई झुलावे,(२) पेट मां
पोढीने सांभळेली बाळे राम-
लक्ष्मण नी वात, (२)
माताजी ने मुखे जे दी ‘ थी,
उठी एनी उंघ में दी’ ठी,
शिवाजी ने नींदरु ना’ आवे,
माता जीजाबाई झुलावे, (२)
पोढजो रे, मारा बाळ, पोढी
लेजो पेट भरीने आज ,(२)
काले काळा युद्ध खेलाशे, सुवा टाणु क्यांय न रे’शे (२)
शिवाजी ने नींदरु ना’ आवे, माता जीजाबाई झुलावे,
पे’री लेजो पातळा रे !
पीळा लाल पीरोजी चीर,(२)
काया तारी लोही मां ना ‘ शे,
ढांकण ते दी’ ढाल नुं थाशे(२)
शिवाजी ने नींदरु ना’ आवे,
माता जीजाबाई झुलावे,
घूघरा ,धावणी, लाकडी, पोपट,फेरवी लेजो आज (२)
ते दी’ तारे हाथ रे’ राती बंबोळ भवानी, (२)
शिवाजी ने नींदरु ना’ आवे,
माता जीजाबाई झुलावे,
आज माता देती कुणां ,
फूलडां केरी सेज, (२)
ते दी’ तारी वीर – पथारी
पाथरसे वीस भूजाळी।
शिवाजी ने नींदरु ना’ आवे,
माता जीजाबाई झुलावे (२)

प्रस्तुतकर्ता: भावना मयूर पुरोहित
हैदराबाद
11/11/2024.

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