राज्य

पलाश

भावना मयूर पुरोहित व्दारा लिखित कविता

पलाश
भावना मयूर पुरोहित

पलाश का अति विलास!!!
चारों ओर करो पलाश की तलाश!!!
बचालो पलाश का सर्वनाश!!!
वरना कुछ सालों के बाद
पलाश खलाश!!!

पलाश एक केसरी रंग का फूल है। जो वसंतऋतु में खिलतें है। यह फूल कोयले के अंगारे के जैसे
चमकते हैं। अग्नि का एक नाम पलाश भी है इसलिए इस को पलाश कहते है। पलाश को गुजराती में केसुडो कहते है। राधाजी और भगवान क्रिष्नजी पलाश के पानी से होली खेलतें थें।
पलाश एक विलुप्त होने वाला महत्वपूर्ण पौधा है और उपयोगी पौधा है जो अभी कम दिखता है। उसका उपयोग
औषधियाँ बनाने, सौंदर्य प्रसाधनों बनाने के लिए होता है।
ज्योतिष शास्त्र में यह सूर्य ग्रह का रत्न माणिक के बराबर है। नव ग्रहों के नव पौधे रत्नों के समान होता है।
सभी लोग किमती रत्नों को नहीं खरीद सकते हैं इसलिए कोई विशेष ग्रह का विशेष पौधे से ज्योतिष शास्त्र में उसका उपयोग किया जाता है।
पर्यावरणविदों ने लोगों को जागरुक करके
पलाश फूल की
प्रजाति को बचा
लेना चाहिए।

भावना मयूर पुरोहित हैदराबाद

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