सौंदर्य – चाय का प्याला
भावना मयूर पुरोहित हैदराबाद
हिमालय प्रवास में,बस के बाहर तो बहार,
सौंदर्य ही सौंदर्य!!!
किंतु बस के भीतर भी…
सौंदर्य ही सौंदर्य!!!
एक विरल चिरस्मरणीय दृश्य जो मेरे मानस पटल से, हटता ही नहीं।
ठंड से,बस के धक्के से,
वृद्धावस्था से,
थर थर कॉंपता था,
एक वृद्ध दंपति…
कंपन कंपन कंपन
कंपित हाथों से,
संभालते थे,
एक दूसरे को,
वह वृद्ध दंपति।
एक छोटे-से,
पडाव पर,
बस जरा रुकी,
किंतु मसिन चालू ही थी,
वृद्ध पति अपनी वृद्धा के लिए, कंपित हाथों से
चाय लाने, अधरुकी बस से उतरकर चाय लायें,
चलती बस में, अपनी जगह तक आते समय,
कंपित हाथों से पकड़े,
चाय का प्याला,
वृद्ध के हाथों में कंपन!!!
कंपन हमारे ह्रदय में भी…
मुझे लगा अरे वाह!!!
यह चाय का प्याला!!!
या फिर ‘ चाह ‘ का प्याला???
भावना मयूर पुरोहित हैदराबाद