राज्य

ऐसी चिंगारी होनी चाहिये

डॉ. कुमुद बाला मुखर्जी व्दारा लिखित कविता

ऐसी चिंगारी होनी चाहिये

जेब में कौड़ी भले न हो,देशभक्ति की आँधी होनी चाहिये
जो विचारों को दे नया स्वरूप ,ऐसी चिंगारी होनी चाहिये

सैनिक जो हैं रक्षा में खड़े , उनकी तो रात नहीं होती
जो कोशिश करते हैं उनकी,जीवन में मात नहीं होती
है देश हमारा सर्वोपरि और सर्वोपरि ही रहेगा
यह नई पीढ़ी को समझना है,जिसकी बात नहीं होती

गुरु बनकर उभरे विश्वपटल पर,ऐसी नक्काशी होनी चाहिये
जेब में कौड़ी भले न हो , देशभक्ति की आँधी होनी चाहिये
जो विचारों को दे नया स्वरूप , ऐसी चिंगारी होनी चाहिये

भाषाओं के गुलदस्ते से सजा है , अपना प्यारा देश
अग्निवीरों के पराक्रम से सजा है , अपना प्यारा देश
नागरिकता की कसौटी पर , हमें है उतरके दिखलाना
हम हैं भविष्य औ हमसे ही सजा है अपना प्यारा देश

है शंखनाद का बिगुल बजा,अब जागृत सच्चाई होनी चाहिये
जेब में कौड़ी भले न हो , देशभक्ति की आँधी होनी चाहिये
जो विचारों को दे नया स्वरूप , ऐसी चिंगारी होनी चाहिये

सूरज , चाँद , सितारे वही हैं , नहीं बदला ये आसमान
छोड़कर मानवता को किनारे , मूरख बदल गया इंसान
करके युद्ध मिलेगा क्या,अजी देश बुद्ध का,उकेरो बुद्ध
शांतिवार्ता है संभव , रखो विश्वपटल पर नई पहचान

हो नारी का भी सम्मान , ऐसी यह , नई पीढ़ी होनी चाहिये
जेब में कौड़ी भले न हो , देशभक्ति की आँधी होनी चाहिये
विचारों को जो दे नया स्वरूप , ऐसी चिंगारी होनी चाहिये

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